Wednesday, May 20, 2009

कटियार का वार-संघ भी हार के लिए जिम्मेवार

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेता विनय कटियार ने आज लोकसभा चुनाव में हार के लिये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेवार ठहराया और कहा कि पार्टी के मामले में हस्तक्षेप करने वाले संघ के लिये भी हार या जीत की जिम्मेवारी तय होनी चाहिए।
कटियार ने आज कहा कि पार्टी में राज्यों या केन्द्र में संगठन सचिव आरएसएस के होते हैं क्योंकि उनका चयन संघ ही करता है। प्रत्याशियों के चयन में भी उनकी भूमिका होती है। लोकसभा चुनाव में हार के लिये भाजपा संगठन ने जिम्मेवारी ली लेकिन संगठन सचिव इस मामले में बिल्कुल चुप रहे।
उन्होंने कहा के संगठन सचिव को इस मामले में बरी कैसे किया जा सकता है जबकि वह हार या जीत में बराबर के जिम्मेवार होते हैं ।
लोकसभा चुनाव में अंबेडकर नगर सीट से चुनाव हार जाने वाले कटियार ने कहा कि संघ की ओर से नियुक्त किये गये संगठन सचिव को कम से कम चार साल भाजपा में रह कर काम करना चाहिये क्योंकि उनकी बड़ी भूमिका होती है।
उन्होंनें कहा कि संगठन सचिव को भाजपा के पृष्ठभूमि की भी जानकारी होनी चाहिये और उन लोगों की भी जिनके साथ उन्हें काम करना है। और

Sunday, May 17, 2009

सत्ता की हवास , ये हे कोंग्रेस और भाजप में फरक

वाराणसी से जीतकर आए भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी अब जोश में आ गए हैं। मुरली मनोहर जोशी ने पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है और कहा है कि अगर उन्हें मौका मिला तो वह तैयार हैं। मुरली मनोहर जोशी पहले भी भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं। भाजपा ने इस बार के चुनाव में 1991 के बाद सबसे खराब प्रदर्शन किया है। भाजपा को 116 सीटें आई हैं।2004 में पार्टी को 138 सीटें मिली थईं और इस बार 22 सीटें कम हो गई हैं। 'मजबूत नेता और निर्णायक सरकार' के नारे के बाद भी भाजपा की सीटें घट गईं हैं।
http://khabar.ndtv.com./2009/05/17150817/MM-Joshi.हटमल

वाह भाई वाह
विपक्ष के नेता बन्ने की भी हवास और उस में भी दोड़ ,
शर्म करो यारो

Friday, May 08, 2009

9/11 स्वांग था? ग्रीनस्पैन के खुलासे का निहितार्थ

आभार सह :

http://diaryofanindian.blogspot.com/2007/09/911.html

अमेरिका में इन दिनों जबरदस्त चर्चा है कि 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन पर हुआ हमला प्रायोजित था। यह हमला पूरी तरह बुश प्रशासन द्वारा नियोजित था। पेंटागन को कोई नुकसान नहीं होने दिया गया क्योकि वहां जहाज नहीं मिसाइल दागा गया था और जहां पर यह मिसाइल दागा गया था, पेंटागन का वह हिस्सा पहले ही खाली कराया जा चुका था। यहां तक संदेह किया जा रहा है कि लादेन और बुश प्रशासन में इस हमले के लिए पूरी मिलीभगत थी। इस मिलीभगत से जिस दिन वाकई पूरे प्रमाणों के साथ परदा उठेगा, उस दिन पूरी दुनिया में तहलका मच जाएगा।ऐसे तहलके का ट्रेलर अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के पूर्व चेयरमैन एलन ग्रीनस्पैन ने आज जारी की गई अपनी किताब ‘The Age of Turbulence’ में दिखा दिया है। ग्रीनस्पैन अमेरिका की मौद्रिक नीतियों के पितामह रहे हैं। वो 1987 से 2006 तक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन थे और बुश से लेकर इस दौर के हर राष्ट्रपति ने उनकी तारीफ की है। ग्रीनस्पैन ने इस किताब में लिखा है, “मुझे दुख है कि जो बात हर कोई जानता है उसे स्वीकार करना राजनीतिक रूप से असुविधाजनक है : इराक युद्ध की मुख्य वजह तेल है।”अमेरिका ही नहीं, पूरी दुनिया में अब तक के सबसे ज्यादा नफरत किए जाने राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश, उपराष्ट्रति डिक चेनी, तत्कालीन रक्षा मंत्री रोनाल्ड रम्सफेल्ड और उप-रक्षा मंत्री पॉल वूल्फोविट्ज ने मई 2003 में ढोल बजा-बजाकर कहा था कि इराक पर हमले की वजह हैं जनसंहारक हथियार। तीन साल बाद खुद रम्सफेल्ड को मानना पड़ा कि इराक के पास जनसंहारक हथियार नहीं हैं। अब ग्रीनस्पैन ने सब कुछ साफ कर दिया है कि इस हमले की असली वजह जनसंहारक हथियार नहीं, बल्कि पेट्रोलियम तेल के विपुल भंडार हैं। वैसे पिछले ही महीने अमेरिका के उप-रक्षा मंत्री वूल्फोविट्ज ने सिंगापुर में यह कहकर फुलझड़ी छोड़ दी थी कि इराक तेल के समुद्र पर तैरता है।यह सच भी है कि मध्य-पूर्व में दुनिया के दो-तिहाई तेल भंडार हैं और इनकी कीमत भी सबसे कम है। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि जब बुश और चेनी ने सत्ता संभाली थी तब अमेरिका तेल और प्राकृतिक गैस के भयानक संकट से गुजर रहा था। ऊपर से उसे विश्व बाज़ार में घटती आपूर्ति के बीच चीन और भारत जैसे तेज़ी से बढते देशों से होड़ लेनी पड़ रही थी। अमेरिकी कंपनियों की निगाहें इराक के तेल भंडार पर टिकी थीं। पहले 9/11 का स्वांग रचा गया। अफगानिस्तान पर हमला करके अमेरिका ने मुस्लिम आतंकवाद के खिलाफ मुहिम के लिए विश्वसनीयता हासिल करने की कोशिश की। फिर 2003 में इराक पर हमला बोल दिया। अमेरिकी अवाम चुप रहा क्योंकि उसे लगा कि अगर इराक पर हमले से उनकी ऊर्जा ज़रूरतें पूरी हो जा रही हैं तो इसमें हर्ज क्या है।लेकिन आज अमेरिकी अवाम भी युद्ध की विभीषिका की चुभन महसूस करने लगा है। इस युद्ध में मारे गए इराकियों की संख्या का अनुमान अलग-अलग है। कोई कहता है कि 75,000 लोग मारे गए हैं तो कोई कहता है कि ये संख्या डेढ़ लाख से लेकर 6.55 लाख हो सकती है। अब आप ही बताइये कि इतने लोगों की हत्या और पूरी की पूरी सभ्यता को तबाह करनेवाले युद्ध अपराधी के खिलाफ क्या कार्रवाई होनी चाहिए? जब सद्दाम को फांसी लगाई जा सकती है, सर्बिया के राष्ट्रपति स्लोबोदान मिलोशेविच के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में युद्ध अपराधी का मुकदमा चलाया जा सकता है तो झूठ बोलकर लाखों बेगुनाह इराकियों की हत्या करनेवाले जॉर्ज डब्ल्यू बुश से क्या सलूक किया जाना चाहिए? ग्रीनस्पैन ने सबूत पेश कर दिया है, फैसला विश्व जनमत को करना है, जिसमें हम और आप भी शामिल हैं।

Saturday, May 02, 2009

तमिलों ने फोज को लुटा !

आज के समाचार हे के तामिलों ने भारतीय फोज के काफिले पर हल्ला बोल कर पाँच गाडियां लूट ली,
इस से ज़्यादा बड़ा आंतकवाद क्या होगा, ? अगर को मुसलमान गिरोह एसा करता तो मालूम नही क्या क्या कहा गया होता ?