मनमोहन ने बड़े दिलचस्प अंदाज में अपनी और आडवाणी की तुलना की।
उन्होंने कहा कि कंधार विमान हाईजैक हुआ और मुंबई पर हमला हुआ। सबने देखा कि हमारा रिस्पांस क्या था और बीजेपी ने क्या किया। उन्होंने तीन खतरनाक आतंकवादियों को छोड़ा। साथ में अपने विदेश मंत्री को तीनों आतंकियों के साथ अकेले कंधार भेजा।
मनमोहन ने आडवाणी की दुखती रग पर हाथ रखते हुए कहा कि जब कोई मस्जिद गिराई जाएगी तो मैं किसी कोने में रोता हुआ नहीं पाया जाऊंगा। न ही मैं हाथ मलता रहूंगा जब मेरा कोई मुख्यमंत्री अल्पसंख्यकों के कत्लेआम को चुपचाप देखता रहेगा।
मनमोहन ने कहा कि मैं कभी पाकिस्तान जाकर ऐसी बातें नहीं कहूंगा जिससे हर भारतीय को चोट पहुंचे और फिर लौटकर अपने राजनीतिक नुकसान के डर से अपनी बातों से मुकरूंगा भी नहीं।
मनमोहन यहीं नहीं रुके। उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि कंधार मुद्दे पर राजनाथ सिंह ने उनसे कभी सलाह-मशविरा नहीं किया था।
मनमोहन ने कहा कि मैं राज्यसभा का नेता था तो कंधार में आतंकवादियों को छोड़ने के मुद्दे पर मुझसे संपर्क किया गया ये एकदम झूठ है।
मनमोहन ने आडवाणी और बीजेपी के आरोपों का चुन-चुनकर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी काला धन के बारे में निराधार तथ्य प्रचारित कर रही है। अफजल गुरु को फांसी का मुद्दा बनाने वाली बीजेपी भूल जाती है कि लोकतांत्रिक देश में फांसी देना एक प्रक्रिया के तहत ही होता है जो चल रही है। उन्होंने आडवाणी की खुली बहस की चुनौती को दरकिनार करते हुए कहा कि वे जनता से पांच साल के कामकाज पर वोट मांग रहे हैं न कि बोलने की ताकत पर।
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